श्रीमद्भागवत कथा श्रवण व सत्संग ही कलियुग में एकमात्र है मोक्षाधार: अतुल कृष्ण भारद्वाज महाराज
अनिल कनौजिया
टिकैतनगर, बाराबंकी। मनुष्य जब अपनी अज्ञानतावश भौतिक सुख के लिए दुराचार, पापाचार, व्याभिचार, भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाता है। तो उसे नरकीय जीवन यापन करना पड़ता है। वह परमात्मा तक नही पहुंच पाता है एवं बार-बार जीवन मरण की लील में भटकता रहता है।
बताते चलें कि दुर्गा पूजा स्थल टिकैतनगर में श्रीराम कथा के दूसरे दिन वृंदावन से पधारे प्रवाचक अतुल कृष्ण भारद्वाज महाराज ने स्वर्ग एवं नकर की सुंदर व्याख्या करते हुए कहते है कि इस कलियुग में श्रीमद् भागवत एवं श्री रामचरित मानस रूपी गंगा ही प्राणी को भवसागर से पार कराकर आत्मा का परमात्मा से मिलन करा सकती है। यानि स्वर्ग की प्राप्ति इन दिव्य ग्रन्थों व सतसंग से संभव है। इस कलियुग में केवल राम नाम एवं सत्संग ही मोक्षाधार है।
उन्होने कहा कि मनुष्य आज औसत 70 वर्ष की आयु में जी रहा है। यदि इससे अधिक आयु है तो समझिये बोनस प्राप्त है। मनुष्य के जीवन में चार पड़ाव आते है उसका पूर्ण सदुपयोग करना चाहिये। अंतिम समय में जो सन्यास आश्रम की बात पुराणों में कही गयी है। उसका भी पालन करना चाहिये। मनुष्य को ष्सियाराम मै सब जग जानीष् के सिद्धान्त पर जीवन जीना चाहिये, सभी में परमात्मा का दर्शन करना चाहिये।
सोमवार को आयोजित कथा में केदारनाथ वैश्य जगदीश प्रसाद वैश्य, रमेश चन्द्र वैश्य, राजकुमार पाण्डेय, विजय मिश्रा, संजय जयसवाल के साथ ही अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने कथा श्रवण कर पुण्य लाभ उठाया।



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