सदा होती है अधर्म पर धर्म की विजय असत्य पर सत्य की जीत कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज महराज
अनिल कनौजिया
बाराबंकी टिकैतनगर। में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिवस में श्री रामकथा का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने कहा कि दूसरों की सम्पति चाहे कितनी भी मूल्यवान हो उस पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। चौदह वर्ष बनवास करने के पश्चात भगवान श्रीराम जब अयोध्या पहुंचे तो आयोध्यावासी खुशियों से झूम उठे।
श्रीराम कथा के अन्तिन दिवस को कथा व्यास पुज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज जी ने कहा कि रामायण हमें जीने के तरीके सिखाती है। रामायण हमे आदर सेवा भोग, त्याग व स्थान के साथ दूसरों की सम्पत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, यह ज्ञान भी देती है। श्री राम कथा की अमृत वर्षा की शुरुवात हुई पूज्य व्यास जी द्वारा सीताहरण लंका दहन, राम रावण विभिषण का राज्यभिषेक प्रसंग की व्याख्या मार्मिक ढंग से की। कथा प्रंसग में पूज्य व्यास ने बताया भगवान कण-कण में विराजमान है। अगर हम समाज के दीन दुखियों जरूरत मंदो की सेवा करते हैं। जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने दीन-दुखियों वनवासियों आदिवासियों के कष्ट हुए उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठित शक्ति के द्वारा ही समाज में बुराइयों को दूर किया।
उसी प्रकार आज भी समाज में व्याप्त बुराइयों को अच्छे लोगों को संगठित करके दूर किया जा सकता है। जब धीरे-धीरे अच्छे लोंगों की संख्या बढ़ती जायेगी। और संगठित है. तो समाज से बुराइयां भी कम हो जायेगी। पुज्य व्यास जी ने सभी श्रोताओं से इस तरह श्रीराम जी द्वारा वनवासियों को अपने प्रेम से अपना भक्त बनाया था कष्ट मिटाये थे। हर राम भक्तों को इस पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान यह राम कार्य है। कथा के समापन पर पूज्य व्यास जी, द्वारा श्री राम के वर्णन किया और बताया बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलती अन्ततः सत्य की जीत होती है। अधर्म पर धर्म की जीत हमेशा होती आयी है।




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